गरीबों को मोदी सरकार का तोहफा, पूरे देश में मिलेगा समान काम के बदले समान वेतन

संगठित एवं असंगठित क्षेत्र के करीब 40 करोड़ श्रमिकों को देशभर में एक समान न्यूनतम वेतन के भुगतान की गारंटी देने वाले बहुप्रतीक्षित एवं बहुचर्चित वेतन संहिता विधेयक 2019 पर शुक्रवार को संसद की मुहर लग गई। इससे पहले राज्यसभा ने इस विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया। लोकसभा ने इसे 30 जुलाई को पारित किया गया। यह विधेयक स्थायी समिति को भेजा गया था। राज्यसभा में इस विधेयक को प्रवर समिति में भेजे जाने की वाम दलों की मांग को ध्वनिमत से खारिज कर दिया गया। विधेयक के अनुसार सरकार श्रम निरीक्षक की जगह श्रम मध्यस्थकार नियुक्त करेगी, जो संबंधित मामलों को सुलझाएंगे।


श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष गंगवार ने विधेयक पर लगभग तीन घंटे तक चली चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि इस विधेयक के लागू होने से नियोक्ता, श्रमिक संगठनों एवं राज्य सरकारों की त्रिपक्षीय समिति से श्रमिकों के लिए वेतन की नई दरें तय की जा सकेंगी। उन्होंने कहा कि त्रिपक्षीय व्यवस्था में जो भी वेतन तय होगा, उसको अधिसूचित कर दिया जाएगा और सभी श्रमिकों को इसका फायदा मिलना शुरू हो जाएगा। उन्होंने कहा कि यह संहिता सभी कर्मचारियों और कामगारों के लिए वेतन के समयबद्ध भुगतान के साथ ही न्यूनतम वेतन सुनिश्चित करती है। कृषि मजदूर, पेंटर, रेस्टोरेंट और ढाबों पर काम करने वाले लोग, चौकीदार आदि असंगठित क्षेत्र के कामगार जो अभी तक न्यूनतम वेतन की सीमा से बाहर थे, उन्हें न्यूनतम वेतन कानून बनने के बाद कानूनी सुरक्षा हासिल होगी। विधेयक में सुनिश्चित किया गया है कि मासिक वेतन पाने वाले कर्मचारियों को अगले महीने की 7 तारीख तक वेतन मिलेगा, वहीं जो लोग साप्ताहिक आधार पर काम कर रहे हैं उन्हें हफ्ते के आखिरी दिन और दैनिक कामगारों को उसी दिन पारिश्रमिक मिलना चाहिए।


विधेयक को श्रमिक कल्याण के लिए ऐतिहासिक बताते हुए उन्होंने कहा कि इसे श्रमिक संगठनों, नियोक्ताओं और राज्य सरकारों से परामर्श के बाद तैयार किया गया है और इससे देश में संगठित एवं असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले 40 करोड़ से ज्यादा कामगारों के लिए न्यूनतम मजदूरी तय की जा सकेगी। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस विधेयक के माध्यम से सिर्फ मजदूरों या श्रमिकों के हितों को ही नहीं साधा गया है बल्कि इसमें नियोक्ता के हितों का भी पूरा ध्यान रखा गया है। कर्मचारी और नियोक्ता की सभी परिभाषाओं में एकरूपता लाई जा रही है।

गंगवार ने कहा कि इस विधेयक के प्रावधान आने वाले समय में देश के श्रमिक वर्ग के हितों को साधने में असाधारण भूमिका निभाएंगे। इस समय 17 मौजूदा श्रम कानून 50 से ज्यादा वर्ष पुराने हैं और इनमें से कुछ तो स्वतंत्रता से पहले के दौर के हैं। विधेयक में शामिल किए गए चार अधिनियमों में से वेतन भुगतान अधिनियम, न्यूनतम वेतन अधिनियम, बोनस भुगतान विधेयक, और समान पारिश्रमिक अधिनियम भी इसमें शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में ट्रेड यूनियनों, नियोक्ताओं और राज्य सरकारों के साथ व्यापक विचार-विमर्श हो चुका है। स्थायी समिति की 24 सिफारिशों में 17 को सरकार ने स्वीकार कर लिया था।

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